प्रेम!
ए साथी सो जाओ तुम, सोने से कुछ आराम होगा। मन का सागर जो विचलित है, कम थोड़ा सा उफान होगा। प्रेम यही है... इसमें थोड़ा आकाश केसरिया दिखेगा ही, बारिश का रंग हरा होगा, चाँद सोने सा पीला, प्रेमी का रंग होगा लाल, नस नस में वो दौड़ेगा भी। ए साथी तुम व्याकुल ना होना, ये फेर बदल सब हिस्सा है। प्रेम रंगा मन नहीं सोचता, कौन सा रंग किसका है। हृदय रखता जीवित ए साथी। प्रेम जीवित को जीवन देता। तेज़ किरण से भी तेज, चाल हिरण से भी तेज... सोच इस मन से भी तेज...प्रेम पवन से भी तेज... रोक नहीं कोई सकता। ए साथी तुम कोशिश ना करना, बहुत तेज़ उसकी रफ्तार। रोके गर वो रुक जाए तो, कौन करेगा दरिया पार। सुंदर है लेकिन सरल नहीं। आज आसान है पर शायद कल नहीं। ए साथी जब दरिया में डुबो, प्रेम में बहकर प्रेम को ढूंढो, तब आकार बनाना उसका, हृदय में द्वार बनाना उसका। अभी मगर तुम सो जाओ, सोने से कुछ आराम होगा। मन का सागर जो विचलित है, कम थोड़ा सा उफान होगा।